मुर्गी 🐔 अंडे दे रही थी और मालिक बेच रहा था। एक कहानी?

 मुर्गी 🐔 अंडे दे रही थी और मालिक बेच रहा था। 


उसके मालिक ने कहा था :-

’’ आज राष्ट्र को तुम्हारे अंडों की जरूरत है। यदि तुम चाहती हो कि तुम्हारा घर सोने का बन जाये तो जम के अंडे दिया करो। आज तक तुमसे अंडे तो लिये गये लेकिन तुम्हारा घर किसी ने सोने का नही बनवाया। हम करेंगे। तुम्हारा विकास करके छोड़ेंगे।’’


मुर्गी खुशी से नाचने लगी। 

उसने सोचा देश को मेरी भी जरूरत पड़ती है। वाह मैं एक क्या कल से दो अंडे दूंगी। देश है तो मैं हूं। 

वह दो अंडे देने लगी। 


मालिक खुश था। अंडे बेचकर खूब पैसे कमा रहा था। 

मालिक निहायत लालची सेठ था। उसने मुर्गी की खुराक कम कर दी।



मुर्गी चौंकी!! :-’’ आज मुझे पर्याप्त खुराक नहीं दी गई। कोई समस्या है क्या ?’’ 


देश आज संकट में है। किसी भी मुर्गी को पूरा अन्न खाने का हक नहीं। जब तक एक भी मुर्गी भूखी है मैं खुद पूरा आहार नहीं लूंगी। हम देश के लिए संकट सहेंगे।’’ 

मुर्गी आधा पेट खाकर अंडे देने लगी। मालिक अंडे बेचकर अपना घर भर रहा था। बरसात में मुर्गी का घर नहीं बन पाया। 


मुर्गी बोली- आप मेरे सारे अंडे ले रहे हैं। मुझे आधा पेट खाने को दे रहे है। कहा था कि घर सोने का बनेगा। नहीं बना। मेरे घर की मरम्मत तो करवा दो। 

मालिक भावुक हो गया। 


बोला "तुमने कभी सोचा है इस देश में कितनी मुर्गियां हैं जिनके सर पर छत नहीं हैं। रात-रात भर रोती रहती हैं। तुम्हें अपनी पड़ी है। तुम्हें देश के बारे में सोचना चाहिए। अपने लिए सोचना तो स्वार्थ है।’’ 


मुर्गी चुप हो गई। देशहित में मौन रहने में ही उसने भलाई  समझी।


अब वह अंडे नहीं दे पा रही थी। कमजोर हो गई थी। 

न खाने का ठिकाना न रहने का। वह बोलना चाहती थी लेकिन भयभीत थी। वह पूछना चाहती थी :-


 "इतने पैसे जो जमा कर रहे हो-  वह क्यों और किसके लिए ? देशहित में कितना लगाया है ?"



लेकिन पूछ नहीं पाई। 


एक दिन मालिक आया और बोला- ’’ मेरी प्यारी मुर्गी तुझे देशहित में मरना पड़ेगा। देश तुमसे बलिदान मांग रहा है। तुम्हारी मौत हजारों मुर्गियों को जीवन देगा।’’  

मुर्गी बोली "लेकिन मालिक मैने तो देश के लिय बहुत कुछ किया है,"


मालिक ने कहा अब तुम्हे शहीद होने पड़ेगा। बेचारी मुर्गी को अब सब कुछ समझ आ गया था। लेकिन अब वक्त जा चुका था और मुर्गी कमज़ोर हो चुकी थी, मालिक ने मुर्गी को बेच दिया।


मुर्गी किसी बड़े भूखे सेठ के पेट का भोजन बन चुकी थी।


 मुर्गी देशहित में शहीद हो गई...🐔🙊🙈


■ नोट- '"[[ जो आप सोच रहे हैं ऐसा बिल्कुल भी नही है। ""]]


ये सिर्फ एक मुर्गी की कहानी है।


मध्यवर्गीय नागरिकों, मजदूरों , किसान कर्मचारियों को और अधिक उन्मादी होकर राष्ट्रभक्ति में बिना चू चप्पड़ किये देशी सेठों और  कॉरपोरेट्स की तिजोरी भरना  महान राष्ट्रभक्ति और युगधर्म की कसौटी है।

इस पर चलते रहें !!


शुभरात्रि

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