माहिर "कप्तान" को मात दे गया बेबाक "खिलाड़ी

 माहिर "कप्तान" को मात दे गया बेबाक "खिलाड़ी"


नवजोत सिद्धू को "लाइटवेट" समझना "महंगा" पड़ा "हैवीवेट" अमरेंद्र को


"मैं" का "अहंकार" ले "डूबा" अमरिंदर सिंह को


कुलदीप श्योराण 

चंडीगढ़। पंजाब में "कप्तान इज कांग्रेस" का अहंकार लेकर चलने वाले अमरिंदर सिंह को यह अहसास नहीं था कि एक बेबाक "खिलाड़ी" उनकी माहिर "कप्तानी" का "बैंड" बजा देगा।

पिछले 19 साल से पंजाब कांग्रेस में अधिकांश विरोधियों को ठिकाने लगाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए नवजोत सिद्दू को "लाइटवेट" समझना "आत्मघाती" साबित हुआ।


 अमरिंदर सिंह को यह लगता था कि प्रैशर पॉलिटिक्स के "फार्मूले" के जरिए वे नवजोत सिद्धू को भी ठिकाने लगा देंगे लेकिन उन्हें यह अहसास नहीं था कि उनकी बार-बार की प्रेशर ब्लैकमेलिंग से कांग्रेस हाईकमान भी परेशान हो चुका है और मौका मिलते ही उनको "निपटा" दिया जाएगा।

 जो कैप्टन अपने आपको सर्वशक्तिमान समझते थे उन्हें एक ही झटके में कांग्रेस हाईकमान ने सत्ता की चैंपियनशिप से बाहर कर दिया। 

अमरेंद्र सिंह यही समझते थे और दिखाते थे कि पंजाब में "वही कांग्रेस हैं" और "कांग्रेस भी सिर्फ उन्हीं से है।"

 इसीलिए वे हाईकमान को भी कुछ नहीं समझते थे और अपनी मनमर्जी के तरीके से सरकार और कांग्रेस पार्टी को चला रहे थे।

2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अमरिंदर सिंह ने हिटलरशाही की तरह व्यवहार करते हुए सत्ता को सिर्फ अपने फार्महाउस तक केंद्रित कर दिया।

सत्ता में सम्मानजनक हिस्सेदारी देने की वजह अमरिंदर सिंह ने पार्टी के विधायकों और दूसरे नेताओं की फार्म-हाउस में इंट्री पर अघोषित बैन लगा दिया। 

कैप्टन से सिर्फ  वही व्यक्ति मिल सकता था जिससे कैप्टन मिलना चाहते थे। विरोधी नेताओं को पूरी तरह से खुड्डेलाइन लगाते हुए अमरेंद्र सिंह ने पंजाब में कांग्रेस को सिर्फ अपने ही समेट दिया और यह बार-बार एहसास दिलाते रहे कि अगर उनके साथ पंगा किया गया तो पंजाब में कांग्रेस खत्म हो जाएगी। लेकिन नवजोत सिद्दू के आने के बाद धीरे-धीरे माहौल बदलने लगा। 

गांधी परिवार ने पूरी प्लानिंग के तहत कैप्टन के भरपूर विरोध के बावजूद नवजोत सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया। सिद्धू के हाथ में कमान आते ही कैप्टन विरोधी अधिकांश नेता भी उनके साथ लामबंद हो गए जिसके चलते कैप्टन का "तख्तापलट" कर दिया गया।

अमरिंदर सिंह को यह गुमान था कि पार्टी हाईकमान उनके खिलाफ कोई फैसला नहीं लेगा और विधानसभा चुनाव सिर पर होने के कारण उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स के नीचे दबकर उनके हिसाब से ही सारी चुनावी रणनीति को चलाने की इजाजत देगा।

 लेकिन उन्हें नहीं पता था कि कांग्रेस हाईकमान भी बार-बार के अपमान के कारण उनसे निजात पाने का फैसला ले चुका है और मौका मिलते ही उन्हें "क्लीन बोल्ड" कर दिया गया। 

कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर कांग्रेस हाईकमान ने यह साफ संदेश दे दिया है कि "मैं" की राजनीति करने वाले नेताओं को और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे नेताओं को ठिकाने लगाने में कोई लिहाज नहीं बरता जाएगा।

 जिस तरह से बीजेपी हाईकमान ने उत्तराखंड, कर्नाटक और गुजरात में मुख्यमंत्री को बदलकर पार्टी के सबसे ऊपर होने का एलान किया था उसी तरह कांग्रेस हाईकमान ने भी अमरिंदर सिंह को हटाकर यह बता दिया है कि गांधी परिवार अभी भी इतना कमजोर नहीं है जितना उसे समझा जा रहा है।

 अमरेंद्र सिंह को सत्ता से बेदखल करके गांधी परिवार ने फिर से पार्टी में अपनी पकड़ को मजबूत करने का काम किया है।

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